Tuesday 31 March 2020
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Thursday 12 March 2020
Wednesday 11 March 2020
दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वितीय अधिवेशन, दुर्ग
मैं अरुण कुमार निगम, वर्तमान में दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति,दुर्ग (छत्तीसगढ़) में अध्यक्ष हूँ। मेरे पिताजी श्री कोदूराम "दलित" जो छत्तीसगढ़ के जनकवि के रूप में जाने जाते हैं, पचास और साठ के दशक में दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति के सक्रिय सदस्य होने के साथ मंत्री के पद पर भी रहे। उनकी फाइलों में कुछ सामग्री ऐसी मिली जो दुर्ग जिले के साहित्यिक इतिहास के दस्तावेज के रूप में है। तत्कालीन समय की अन्य गतिविधियाँ भी प्रकाशित सामग्री भी उन फाइलों में मिली है जिन्हें इस ब्लॉग में क्रमशः प्रकाशित कर रहा हूँ ताकि दुर्ग के साहित्यकारों की नयी पीढ़ी तत्कालीन साहित्यिक गतिविधियों से परिचित हो सके।
अरुण कुमार निगम
अध्यक्ष
दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति,
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
दुर्ग में हिंदी साहित्य समिति की स्थापना 1927 में की गई। सन् 1927 के पूर्व दुर्ग में यहाँ का ताम्रकार समाज जो
प्राचीन काल से अपने आप को हैहयवंशी क्षत्रिय मानता आ रहा है, साहित्य की यह धरोहर उनके पास सुरक्षित रही।
इनमें रेवाराम ताम्रकार और दशरथलाल ताम्रकार का नाम प्रमुख है। सरस्वती में इन्हीं वरद पुत्रों की शुभकामनाओं से
हिन्दी साहित्य समिति का जन्म हुआ। इस संस्था के आधार स्तंभ सुंदरलाल गौर, मोहनलाल बाकलीवाल,
द्वारकानाथ तिवारी थे। इसके मुख्य प्रबल और कर्मठ अंग पतिराम साव, शिशुपाल सिंह यादव,उदय प्रसाद उदय,
झुमुकलाल दीन, गंगाप्रसाद द्विवेदी और कोदूराम दलित रहे।
इससे प्रेरणा पाकर गुलाबचंद पहाड़िया,मदनमोहन गुप्ता, रामचंद्र कौमार्य, कपिल भट्ट ने तरुण साहित्य मंडल की
नींव डाली। कालांतर में कृष्णसेवक अग्रवाल और केदारनाथ झा चंद्र ने प्रगतिशील हिंदी साहित्य समिति तथा
वीरेंद्र लाल मिश्र और ब्रजभूषण पांडेय ने पीयूष परिषद को जन्म दिया। एक छोटे से शहर में चार संस्थाएँ बन जाने से
साहित्य के विकास कार्य में गतिशीलता पैदा हुई। पारस्परिक मनोमालिन्य बढ़ता गया जो
दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति के निर्माण का कारण बना।
1955 में मोहनलाल बाकलीवाल की अध्यक्षता में इन चारों संस्थाओं की सम्मिलित बैठक हुई और बाद की तीनों संस्थाओं को हिन्दी साहित्य समिति में समाहित कर एक नया नाम दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति दिया गया।
प्रथम अधिवेशन धमधा में 1958 को हुआ। अध्यक्ष केदारनाथ झा चंद्र और उद्घाटनकर्ता डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र थे।
द्वितीय अधिवेशन दुर्ग में 1959 को हुआ। अध्यक्ष उदय प्रसाद उदय और उद्घाटनकर्ता डॉ. भवानीप्रसाद तिवारी थे।
तृतीय अधिवेशन डोंगरगढ़ में 1960 को हुआ। अध्यक्ष रत्नाकर झा तथा उद्घाटनकर्ता गणेश प्रसाद भट्ट थे।
चतुर्थ अधिवेशन पतन में 1961 को हुआ। अध्यक्ष पतिराम साव और उद्घाटनकर्ता डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र थे।
पंचम अधिवेशन बालोद में 1962 को हुआ । अध्यक्ष दानेश्वर शर्मा और उद्घाटनकर्ता विश्वनाथ वैशम्पायन थे।
षष्ठम अधिवेशन दुर्ग में 1965 को हुआ। अध्यक्ष मोतीलाल वोरा थे।
6 अधिवेशनों के उपलब्ध स्वागत भाषण -
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